सफर बहुत बार करता मगर याद रहता नहीं
कभी जमा लिया था कब्जा इंजीनियरिंग के छात्रों ने पूरी बोगी पर
गोरखनाथ के शिष्यों संग दरवाज़े पर उस रात
जलते बुझते
तारों और हवा के झोंकों के साथ सफर करना याद रह जाता है।
शहर जिन संकल्पों के साथ आता है नौजवान
बस तारों का टिमटिमाने में अग्नि की लौ मान कर दोहराना होता है उसे
वे वायदे वहीं रह गए और कभी लाईटर जलाकर हमने अग्नि के सात फेरे भी ले लिए।
दादी से इतनी बातें करता था कि उनके जाने का दुख नहीं था
गरीबी में उनकी तस्वीर डायरी बन जाया करती
अपने होठों का दिया तुम्हारी आंखों के सामने उतार देता था।
इक वक्त वो भी आया जब सिरहाने उनकी तस्वीर रख सिगरेट सुलगाने लगा।
सफर बहुत बार करता मगर याद रहता नहीं
बस अब किसी फलां सफर को याद रख सफर करता हूं।
Nice one......touching
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